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Wednesday, February 11, 2009

मेरीमासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है

मेरीमासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है
काग़ज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है
क्या शर्ते मोहब्बत है क्या शर्ते फ़साना है
आवाज़ भी ज़ख़्मी है गीत भी गाना है

क्यों न हो इंसानियत हैरान मेरे देश में
घूमते हैं शान से शैतान मेरे देश में

रोशनी की खो रही पहचान मेरे देश में
और अंधेरों की बड़ी है शान मेरे देश में

जिस तरफ़ देखो तबाही,खून का माहौल है
खो गई क्यों प्यार की पहचान मेरे देश में

इस क़दर नैतिक पतन होगा किसे मालूम था
आदमी हो जाएगा हैवान मेरे देश में

गुमशुदा हैं पासबां इंसानियत के आजकल
बढ़ रही है क़ातिलों की शान मेरे देश में

पतझडों की आंधियाँ हर वक़्त चलती हैं यहाँ
बाग़ सब होने लगे वीरान मेरे देश में

उस पार उतारने की उम्मीद बहुत कम है
कश्ती भी पुरानी है तूफ़ान को भी आना है
समझे या ना समझे वोह अंदाज़े मोहब्बत के,
एक शक्स को आँखों से हाल-ए-दिल सुनना है
मासूम मोहब्बत का बस इतना ही फ़साना है
एक आग का दरिया है और डूब कर जाना

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