चले थे तेज कि कुछ वक़्त बचेगा
आज हर पल चल रहे है
जलाया था दिया एक रोशनी को
अब चैन सुकू सब जल रहे है
पहुँच तो गए है चाँद पर
पर धरती वाले खो रहे है
हिय तो बसा , हर एक में ही
पर धड़कन दिलो में सो रहे है
बदला है हमने वक्त को
या आप ही बदलने लगे है
चार मोती और जोड़े
या बेवक्त ही ढलने लगे है
हर साँस पे बंदन है छाया
जालसाजी मोह माया
वक़्त कहाँ , एक लडखडाता
हाथ बढकर थाम लें
वक़्त कहाँ , हर ख़ुशी हर दर्द में
भगवन का भी नाम लें .
Nice poem ..awesome lines and thought
ReplyDeleteur thoughts are realy very nice according to present sinario
ReplyDeleteWe should be a little bit aware about ..........