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Thursday, November 18, 2010

वक़्त

चले थे तेज कि कुछ वक़्त बचेगा
आज हर पल चल रहे है
जलाया था दिया एक रोशनी को
अब चैन सुकू सब जल रहे है

पहुँच तो गए है चाँद पर
पर धरती वाले खो रहे है
हिय तो बसा , हर एक में ही
पर धड़कन दिलो में सो रहे है

बदला है हमने वक्त को
या आप ही बदलने लगे है
चार मोती और जोड़े
या बेवक्त ही ढलने लगे है

हर साँस पे बंदन है छाया
जालसाजी मोह माया
वक़्त कहाँ , एक लडखडाता
हाथ बढकर थाम लें
वक़्त कहाँ , हर ख़ुशी हर दर्द में
भगवन का भी नाम लें .

2 comments:

  1. Nice poem ..awesome lines and thought

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  2. ur thoughts are realy very nice according to present sinario

    We should be a little bit aware about ..........

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