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Wednesday, November 12, 2008

नवोदय गान

हम नवयुग की नई भरती नई आरती
हम स्स्वराज की ऋचा नवल ,भारत की नवलय हो
नव sउर्यावोद्य नव चंद्रोद्याया हमी नवोदय हो
रंग जाती पद भेद रहित हम सब का भगवन हो
संतान है धरती माँ के हम , धरती पूजा स्थान हो
पूजा के खिल रहे कमल द्ल हम भावः जल में हो
सूर्योदय के नव बसंत के ,हमी नवोदय हो
मानव है हम हलचल हम ,प्रक्रति के पावन स्थान के ,
खिले फले इश संस्क्रती में हम अपने भारत देश की
हम हिमगिरी हम नदिया हम सागर की लहरे हो
जीवन के मंगल माटी के हमी नवोदय हो
हरी दुधिया क्रांति शान्ति के श्रम के वन्दनवार हो
भागीरथी हम धरती माँ के हम सुरम पहरेदार हो
सत् शिव सुंदर की पहचान बनाये जग में हम
अन्तरिक्ष के याना ज्ञान के हमी नवोदय हो

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